कुछ दिन की बेनूरी है दूरी बहूत जरूरी*! *जिन्दा रहना है तो यारों घर में रहो मजबूरी है*।!
*सम्पादकीय* ********************************** बहूत गरूर था लोगों को अपनी दौलत और शोहरत पे एक वायरश क्या आया सारे शहर बिरान हो गये।गांव के गांव सुनशान हो गये! खेती गृहस्थी खाक मे मिल गयी बेकार किसान हो गये।!जिधर देखिये मातम पसरा सबके घर पर लगा है पहरा फसल खेत मे खङी पङी लेकीन! सन्नाटे मे सिवान हो …